कभी बिजली बोर्ड में जेई के पद पर तैनात थे आज उसी विभाग के मंत्री बन गए.!!!!सुखराम चौधरी !!!!
सुखराम चौधरी का जन्म 15 अप्रैल 1964 को पावंटा साहिब के अमरगढ़ में हुआ। उन्होने इंटरमीडिएट के बाद इलेक्ट्रिकल ट्रेड में आईटीआई डिप्लोमा हासिल किया। 1982 से 1994 तक बिजली बोर्ड में टेलेफोनिस्ट के तौर पर भी कार्य किया, इसके बाद 1994 से 1998 में जूनियर इंजीनियर रहे।
जयराम सरकार ने मंत्रियों के विभाग आवंटित किए साथ ही फेरबदल भी किया। इसमें सुखराम चौधरी को ऊर्जा मंत्रालय मिला है। बता दे 1998 में राजनीति शुरू करने वाले चौधरी अपना पहला चुनाव में 2400 मतों के अंतर से हार गए थे। अगले चुनाव में जीत तो हासिल की, लेकिन प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस काबिज हो गई। दूसरी बार 2007 में धूमल सरकार के वक्त मुख्य संसदीय सचिव का ओहदा मिला। 2012 में हैट्रिक बनाने से चूक गए।
निर्दलीय प्रत्याशी किरनेश जंग से मात्र 690 मतों से हार का सामना करना पड़ा। बाहती समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुखराम चौधरी पार्टी में ओबीसी चेहरा तो है ही साथ ही पूर्व मुख्य मंत्री प्रेम कुमार धूमल केभी करीबी माने जाते है।उन्होने पार्टी में बतौर जिला अध्यक्ष भी सेवाएं प्रदान की है। 2017 के चुनाव में 12690 मतों से जीत हासिल की साथ ही हाल ही के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को सबसे अधिक लीड दिलवाने में सफलता हासिल की थी। शिमला संसदीय सीट पर भाजपा को प्रतिशतता के लिहाज से काफी लीड मिली थी।
चौधरी के मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने के कई कारण माने जा रहे हैं। पहला यह कि वह ओबीसी वर्ग से है, दूसरा यह कि लोकसभा चुनाव में भी बेहतरीन लीड दिलवाई थी, इसके अलावा धूमल के करीबी हैं। तीसरा यह था कि पार्टी अब सिरमौर में एक नया चेहरा तलाश करने की कोशिश कर रही थी। बता दें कि सिरमौर को लगभग 17 साल बाद कोई मंत्री मिला है। 2003 में कांग्रेस नेता जीआर मुसाफिर मंत्री बने थे। हालांकि इसके बाद सिरमौर को दो विधानसभा अध्यक्ष मिले। वीरभद्र सरकार में गंगूराम मुसाफिर ने विधानसभा अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा किया।
कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी ने शपथ ग्रहण करने के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए ऊर्जा मंत्री बनने की इच्छा भी जताई थी। मुख़्यमंत्री जय राम ठाकुर ने उनका सामान करते उनको यह पद भी दिला दिया। हालांकि चौधरी शुक्रवार को शिमला से घर के लिए निकल गए थे लेकिन विभाग तय नहीं हुआ था और कल को जब अपने पैतृक क्षेत्र पावंटा साहिब पहुंचे तो विभाग भी मिल गया है।
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