हिमाचल प्रदेश में अभी कोरोना संकटकाल पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है और सूबे की जनता पर प्रदेश सरकार की तरफ से डाला गया बोझ भी उतरने का नाम नहीं ले रहा है। एक ही समय में बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही प्रदेश की जनता को जुलाई में भी डिपुओं के महंगे तेल से राहत नहीं मिलेगी।
बता दें कि सूबे के खाद्य आपूर्ति विभाग की तरफ से सरसों तेल और रिफाइंड के दामों में फिलहाल कोई कमी नहीं की गई है। हालांकि, विभाग ने दालों के दाम कम करने की तैयारी कर ली गई है। बतौर रिपोर्ट्स, खाद्य आपूर्ति निगम ने दालों में 15 से 25 रूपए तक प्रति किलो सब्सिडी बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया है। बताया जा रहा है कि आगामी कैबिनेट बैठक में इसे लाया जा रहा है।
गौरतलब है कि इससे पहले जून से डिपुओं में सरसों का तेल 57 रुपये प्रति लीटर महंगा किया था। वहीं, अब जुलाई में भी जनता को तेल और रिफाइंड के बढ़े दाम ही चुकाने होंगे। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आने वाले परिवारों को सरसों का तेल 152 रूपए प्रति लीटर, एपीएल कार्ड धारकों को 158 रूपए प्रति लीटर और एपीएल इनकम टैक्स पेयर कार्ड धारकों को 178 रूपए प्रति लीटर सरसों तेल मिल रहा है।
वहीं, एनएफएसए कार्ड धारकों को 104 रूपए प्रति लीटर रिफाइंड तेल, एपीएल कार्ड धारकों को 109 और आयकर एपीएल कार्ड धारकों के लिए 124 रूपए प्रति लीटर दाम तय किए थे। खाद्य आपूर्ति विभाग के क्षेत्रीय प्रबंधक विजय शर्मा ने बताया कि जुलाई तक सरसों तेल और रिफाइंड के दाम पहले ही तय हैं। इसी तरह डिपो में उपभोक्ताओं को तीन दालें मलका, मूंग और चना दाल दी जा रही है। दाल चना 55 और मूंग-मलका 70-70 रूपए प्रति किलो दी जा रही है।