आज हिमाचल प्रदेश के दिग्गज नेता, 6 बार रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का जन्मदिन है। वीरभद्र सिंह आज 87 वां जन्मदिन मनाया जा रहा हैं। गौर रहे कि पूर्व सीएम ने अपने जन्मदिन के दो दिन पहले ही कोरोना को दोबारा मात दी है।
हालांकि, अभी भी उन्हें प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल IGMC शिमला में रखा गया है। ऐसे में crazynewsindia समेत राजा साहब के तमाम प्रशंसक इस बात की कामना करते हैं कि वह जल्द से जल्द निरोगी होकर अस्पताल से बाहर आएं और अपने समर्थकों में एक बार फिर से जोश भरें।
वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को शिमला में हुआ था। स्कूली शिक्षा शिमला bishop cotton स्कूल से प्राप्त कर उन्होंने दिल्ली से स्नातक की डिग्री हासिल की। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में सबसे लंबा राजनीतिक कैरियर अगर किसी का है तो वह है वीरभद्र सिंह का है
साल 1962 में राजनीति में उतरे वीरभद्र सिंह का राजनीतिक जीवन ही 57 वर्ष का हो चुका है। हैरानी की बात है कि 5 बार लोकसभा सदस्य, 8 बार विधायक, 3 बार केन्द्रीय मंत्री और 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने वाले वीरभद्र सिंह अपने इतने लंबे राजनीतिक करियर में एक बार भी अपने गृह विधानसभा क्षेत्र रामपुर से विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े।
बेशक कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई है, और वीरभद्र सिंह अब मुख्यमंत्री नहीं हैं, लेकिन आज भी यह बात दावे के साथ कही जा सकती है कि प्रदेश में सबसे बड़ा जन नेता कोई है तो वह है वीरभद्र सिंह। जनता के प्रिय ‘राजा साब’ प्रदेश के जिस भी हिस्से से चुनाव मैदान में उतरे जनता ने उन्हें पलकों पर बिठाया है।
वीरभद्र की छवि हिमाचल में लौह पुरुष से कम नहीं है, राजनीति में वीरभद्र सिंह हमेशा ही अपने पक्के इरादे और मजबूत इच्छाशक्ति के लिए जाने जाते हैं। वीरभद्र सिंह के बारे में एक बार मशहूर है कि वह अपने दोस्त और अपने दुश्मन को कभी नहीं भूलते है, यह बात उनके राजनीतिक जीवन में कई बार देखने को मिली है।
वीरभद्र से मिलने जिसे भी गले से लगाया उसका साथ हर स्तर तक दिया, और जो भी उनकी आंखों को चुभा वीरभद्र सिंह ने कभी उससे सीधे मुंह बात तक नहीं की, राजनीति में अक्सर किए जाने वाले दिखावे तक के लिए भी नहीं। इसीलिए अक्सर वह राजनीतिक मंचों से या प्रेस के माध्यम से अपनी ही पार्टी के लोगों के खिलाफ भी बोल जाया करते हैं।
कई मौकों पर वीरभद्र सिंह कह चुके हैं कि हिमाचल की जनता का उन पर बहुत कर्ज है, अगर में 5 बार भी जन्म लेते हैं तो भी उस कर्ज को नहीं चुका सकते हैं, प्रदेश की जनता ने उन्हें इतना प्यार दिया है। भले ही वीरभद्र सिंह की उम्र अधिक हो गई है, लेकिन उनकी ऊर्जा आज भी किसी नौजवान के जैसी लगती है।
उनकी वाणी के तीखे वार आज भी निरंतर विरोधियों पर जारी हैं, आज भी वीरभद्र सिंह बेबाकी से बोलकर किसी को भी निशब्द कर देते हैं। अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखने के बाद भी हर बार जबरदस्त वापसी करने वाले वीरभद्र सिंह ने हमेशा ही इस बात का यकीन करवाया है कि वे वाकई में वीर और भद्र दोनों हैं।