रक्तवीरों को संसाधन उपलब्ध करवाए सरकार…संदीप सांख्यान
रक्तदान महादान का नारा देकर तत्कालीन सरकारों ने रक्तदान करने करने वाली स्वंय सेवी संस्थाओं ने लाखों लोंगो को जीवन दान दिया है यह कहना है जिला कांग्रेस महासचिव संदीप सांख्यान संदीप सांख्यान का। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि इन रक्तदान करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं को राजकीय तौर पर सम्मानित किया जाना चाहिए और कुछ वांछित अनुदान सहयोग रूप में सरकारी तौर पर मिलना चाहिए।
जीवन दायिनी और हमारे समाज की लाइफ लाइन इस संस्थओं की भूमिका हमारे समाज मे अग्रणी रही है और आगे भी इनके संकल्प शुद्ध हैं। इस संस्थाओं की वजह से ही अब जिला बिलासपुर एक रक्तदान करने में अग्रणी जिला बन चुका है, जिला बिलासपुर से अब रक्तदान अन्य जिलों को भी दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन संस्थाओं में मुख्यत व्यास रक्तदाता समिति बिलासपुर अब तक करीब 9000 यूनिट से ज्यादा रक्तदान कर चुकी है, देव भूमि ब्लड डोनर संस्था मसौर 5000 से अधिक यूनिट रक्तदान कर चुकी है और नेहा मानव सेवा सोसाइटी हैं ने अपने 24 विभिन्न संकल्पो के साथ साथ रक्त दान अभियान भी चलाए हुए है। इस सब संस्थाओं का ध्येय मानव सेवा और शुद्ध विचारों से जुड़ा हुआ है।
यह रक्तदान देने वाली संस्थाओं के संयोजकों से उन्होंने खुद बात की तो पता चला कि अब यही रक्तदान संस्थाएं रक्तदान, इन्दिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला, डॉ राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल टांडा कांगड़ा और ई एस आई अस्पताल मंडी में भी जरूरत पड़ने पर रक्तदान करवा रही है।
इन रक्तदाता स्वयंसेवी संस्थाओं के संयोजक कर्ण चंदेल, पवन बरूर और राहुल वर्मा से जब बात की गई तो उनका ध्येय बड़ा साफ और अद्भुत है, इनका मिशन रक्तदान को लेकर समाज मे फैली भ्रांतियो को मिटाना, हर पंचायत स्तर पर रक्तदान करने वाले युवाओं के समूहों का गठन करना है। जिससे इस संस्थओं को रक्तदान के प्रति लोंगो को जागरूक करना और विभिन्न जगहों पर रक्तदान कैम्स लगवाना भी है पर ऐसे में इन संस्थाओं को संसाधनों की कमी आड़े आती रहती है जबकि जिला भर में इन संस्थाओं ने करीब करीब 2000 से अधिक युवा रक्तदाताओं का कुनबा निजी तौर पर खड़ा कर लिया है और अब तो सोशिल मीडिया के मध्य से भी यह संस्थाएं हमारे समाज मे लोगो का जीवन बचाने में बड़ी अग्रणी भूमिका में उभर कर सामने आई हैं।
प्रदेश सरकार को इनके बारे में सोचना चाहिए किसी बड़े राजकीय सम्मान का प्रावधान इन संस्थाओं के लिए प्रावधान किया जाना चाहिए। इनके बारे में कोई अलग नीति निर्धारण करके इन संस्थाओं का मनोबल बढाना चाहिए और इनके प्रचार-प्रसार और जागरूकता अभियान को मद्देनजर रखते हुए इनकी वितीय सहायता और इनको वांछित संसाधन भी उपलब्ध करवाए जाने चाहिए।