आजादी के 73 वर्ष बाद भी पझौता घाटी की ग्राम पंचायत जदोल-टपरोली के अधिकांश गांव आज भी सड़क सुविधा से महरूम है । किसानों को अपनी नकदी फसलों को सड़क तक पहूंचाने म बहुत दिक्कत पेश आ रही है और यदि कोई गंभीर रूप से बिमार हो जाता है तो उस पीड़ित व्यक्ति को पीठ अथवा कपड़े का स्टेचर बनाकर 15 किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक पहूंचाना पड़ता है । जदोल टपरोली पंचायत के पूर्व प्रधान सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव ग्लोग-शकैण, सरांहा-कुफ्फर, मानली-चलोगा, बेड़-जमोली एवं अन्य उपगांवों में अभी तक विकास की किरण नहंी पहूंच पाई है ं। इस दूरदराज क्षेत्र के लोग आजादी के पहले वाली कठोर स्थिति में ही गुजर बसर कर रहे हैं। इनका कहना है कि करीब 15 वर्ष पहले वन विभाग द्वारा सरवा से ठंडीघार तक तीन किलोमीटर लंबी जीप योग्य सड़क बनाई गई थी परंतु उसके उपरांत आजतक इस गांव से आगे एक इंच भी सड़क नहीं बन पाई । लोगों को बस पकड़ने के लिए 15 किलोमीटर कठिन चढ़ाई व उतराई पार करके जदोल अथवा सरवा गांव पहंुचना पड़ता है। पंचायत के बुद्धिजीवी रमेश कुमार, नंदलाल, सुनील कुमार तथा नारायण सिंह ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि उनके द्वारा पिछले 25 वर्षों से लगातार प्रदेश की कांग्रेस और भाजपा की सरकारों से फरियाद करते रहे परंतु किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली ।
सुरेंद्र ठाकुर का कहना है कि लोक निर्माण विभाग द्वारा कुछ वर्ष पहले एक सर्वे भी किया था और लोगों को सड़क पहुंचने की आशा भी बंध गई थी मगर वह सर्वे भी राजनीति की भेंट चढ़ गया है। यही नहीं सांसद सुरेश कश्यप ने भी स्वयं यहां आ कर सड़क पहुंचाने का पूरा वादा भी किया था मगर वह भी कोरा आश्वासन ही सिद्ध हुआ।
स्थानीय विधायक रीना कश्यप ने बताया कि रिजर्व फोरेस्ट होने के कारण इस क्षेत्र में सड़क नहीं बन पाई थी । उनके द्वारा वन विभाग के अधिकारियों के साथ बात करके इस समस्या का समाधान कर दिया गया है । उन्होने लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि इस संड़क का निर्माण कार्य शीघ्र आरंभ कर दिया जाएगा ताकि लोगों को सड़क सुविधा मिल सके ।