शिमला
हिमाचल प्रदेश में सियासी नजरिये से पिछले पांच महीने किसी बुरे साए की तरह बीते हैं। इसका मुख्य कारण है चार बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं का निधन होना जो या तो कांग्रेस पार्टी या भारतीय जनता पार्टी से संबंध रखते थे। बीते कल सुबह सवेरे प्रदेश वासियों को एक ऐसी खबर सुनने को मिली जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। गुरूवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता व हिमाचल प्रदेश के छः बार सीएम रहे राजा वीरभद्र सिंह ने प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में अंतिम सांस ली।
लंबी बीमरी के चलते उनका बीते कल निधन हो गया। जिस वजह से पूरे राज्य में तीन दिनों तक राजकीय शोक घोषित किया गया है। बता दें कि इस साल के शुरूआत में ही यानी फरवरी माह में फतेहपुर से विधायक रहे सुजान सिंह पठानिया का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया था। इस गम से अभी प्रदेश की जनता उभरी ही नहीं थी कि मार्च महीने की 17 तारीख को मंडी लोकसभा क्षेत्र सेसांसद रामस्वरूप शर्मा की मौत की खबर सामने आ गई।
हिमाचल की सियासत को हिलाने वाला ये मौतों का सिलसिला यहीं ख़त्म नहीं हुआ। इसी कड़ी में 5 जून को प्रदेश सरकार के मुख्य सचेतक व जुब्बल कोटखाई सीट से विधायक रहे नरेंद्र बरागटा का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया। इन नेताओं की मौत के बाद विधानसभा व लोकसभा की सीटें एक-एक कर खाली होती रही। इस बीच जब चुनाव आयोग ने प्रदेश में उप चुनाव कराने की तैयारी शुरू ही कि थी कि इस दौरान कोरोना की दूसरी लहर भायावह हो गई।
जब स्थिति थोड़ी सामान्य हुई तो खबरें ये सामने आने लगी की अब प्रदेश में उपचुनाव होने की कगार पर हैं और जल्द ही इनकी तारीख भी सामने आ जाएगी। इतना ही नहीं निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में उपचुनाव करवाने की सारी औपचारिकताएं लगभग पूरी कर ही ली थी कि इस बीच बीते कल अर्की से विधायक रहे राजा वीरभद्र सिंह की मौत की खबर सामने आ गई। वहीं, अब उपचुनावों की इस सूची में एक और सीट शामिल हो गई है।