जहाँ हिमाचल में आज सेब सीजन की हुई शुरुआत होगई है वही बागवानों की परेशानियाँ भी ख़तम होती नहीं दिख रही है। जहाँ एक तरफ सेब को स्कैब जैसी बीमारियाँ जकड रही है वही दूसरी ओर नेपाली लेबर की व्यवस्था भी नहीं मिल पारी है जिस कारण अभी तक सवा लाख पेटी ही बिक पाई है।
लॉकडाउन के कारण अन्य राज्यों से सिर्फ तीस फीसदी खरीदार ही पहुंचे हैं। सेब उत्पादक क्षेत्रों की संपर्क सड़कें अभी ठीक हैं। मार्केटिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर कहते हैं कि मंडियों में लेबर की कमी की शिकायत किसी मंडी से नही आई है। एपीएमसी से छह सौ लोकल लेबर मंडी, बिलासपुर, सिरमौर और चंबा से जुटाई है। मंडियों में 50 होमगार्ड के जवान उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
बागवानों को नेपाल की लेबर नहीं मिल रही है। सरकार ने अभी तक एक बस रोपड़िया तक भेजी थी। इससे बागवानों की जरूरत पूरी नहीं होगा। बागवानों को अपने खर्चे पर लेबर लाने को कहा गया है। आढ़ती संघ के अध्यक्ष अनूप चौहान कहते हैं कि मंडियों में सेब खरीदने के लिए अभी तीस फीसदी लदानी ही आ सके हैं।
प्रदेश सब्जी एवं फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया की सेब की फसल को बचाने के लिए जो 27 दवाइयो का प्रयोग किया जाता है उस पर केंद्र ने रोक लगा दी है। 11 दवाएं नौणी विवि ने सारिणी में रखी थी। अब बागवानों को ये दवाएं बाजार से महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही है।
एचपीएमसी के महाप्रबंधक डा. भुवन शर्मा कहते हैं कि कॉरपोरेशन ने सीजन में अभी तक एक लाख कार्टन बेचे हैं। हिमफेड के चेयरमैन गणेश दत्त कहते हैं कि 20 जलाई तक बागवानों के कार्टन के ऑर्डर मांगे हैं।