जिले में कोविड के 324 पॉजिटिव केस सामने आए। इसमें लुधियाना के 286 और दूसरे जिलों व राज्यों से संबंधित 38 पॉजिटिव केस रिपोर्ट किए गए हैं। वहीं, लगातार दूसरे दिन मौतों का आंकड़ा भी 25 से ज्यादा ही बना हुआ है। बुधवार को भी 26 मौतें हुई। इसमें लुधियाना से संबंधित 15 लोगों हैं। दूसरे जिलों व राज्यों से संबंधित 11 मौतें हुई हैं। जोकि पहली बार हुई हैं। जिले में अब तक कुल पॉजिटिव केस 14908 आ चुके हैं।
इसमें से 1631 केस एक्टिव हैं। 12651 अब तक रिकवर हो चुके हैं। वहीं, 623 लोगों की जान जा चुकी है। जिले के 40 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। बुधवार को आए पाॅजिटिव केस में 10 हेल्थ केयर वर्कर और 2 पुलिस मुलाजिमों की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। पॉजिटिव मरीजों के संपर्क के 32 लोग, ओपीडी के 79 मरीज, इनफ्लूएंजा लाइक इलनेस के 95 केस और एसएआरआई के 4 केस पॉजिटिव रहे।
सिविल के 3 वेंटिलेटर्स में से 1 ही फंक्शनल
सुनील। लुधियाना | सिविल अस्पताल के आईसीयू में तीन वेंटिलेटर हैं जिनमें से एक ही वेंटिलेटर फंक्शनल है। एक खराब है और एक फंक्शनल नहीं हो सका। जो एक ठीक है उस पर आज तक एक मरीज को रखा गया जिसको भी अस्पताल प्रशासन बचा ना सका। अब आलम ये है कि सिविल में आने वाले लेवल-3 के मरीजों को एमओयू के तहत सीएमसी या फिर पटियाला स्थित राजेंद्रा अस्पताल में ही रेफर करना पड़ रहा है।
मौजूदा समय में सिविल अस्पताल में कोरोना के 31 मरीज ऐसे भर्ती हैं जिनको ऑक्सीजन की जरूरत है। एनआईवी (नॉन इन्वसेव वेंटिलेशन) 6 मरीज है जिनको सांस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड वाॅर्ड इंचार्ज व एसएमओ डा. हतिंदर कौर ने बताया कि एमओयू के तहत हमारे 12 वेंटिलेटर सीएमसी में चल रहे हैं। नए आए दो वेंटिलेटर्स में से एक फंक्शनल नहीं हो पाया था। उसका एक एक्विपमेंट बैंगलोर से आना है। एक वेंटीलेटर को सिविल के आईसीयू में शुरू किया गया है।
ये पहला स्थान घातक
कोविड-19 के केस और उनसे होने वाली मौतों में लुधियाना सूबे में पहले नंबर पर है। इसके साथ ही देश के 8 राज्य एेसे हैं जो केसों के मामले में भले ही लुधियाना से आगे हैं। लेकिन मौत के आंकड़े में लुधियाना इन राज्यों से आगे है। सेहत व परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इन राज्यों में पॉजिटिव केस लुधियाना के मुकाबले 3-4 गुना ज्यादा हैं। लुधियाना में जहां पॉजिटिव केस का आंकड़ा 14908 और मौतें 623 हो चुकी हैं। इन राज्यों में मौतें जिले के मुकाबले 2-3 गुना कम हैं।