पावरकॉम की ओर से बिजली के रेट सबसे अधिक हैं। परंतु जहां बात व्यवस्था की आती है तो सबसे पीछे। शहर भर में बिजली के पोल या तो गल चुके हैं या टूटे पड़े हैं। लेकिन पावरकाॅम जुगाड़ लगाकर काम चला रहा है जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। हालात ये हैं कि कहीं बिजली के पोल को दूसरे खंभे के सहारे, टेढे या बीच से मुड़ चुके पोल को ईंटों के सहारे खड़ा किया गया है।
कोई पोल तो नीचे से टूट गया तो उसे दूसरे का सहारा देकर लटकाया गया है। बता दें ये पोल अब के नहीं बल्कि दस से 15 साल पुराने हैं। परंतु इसे अभी तक नहीं बदला गया। गौर हो कि शहर में पावरकाॅम की 9 डिवीजन हैं। एक डिवीजन से सालभर में औसतन 400 करोड़ का रेवेन्यू आता है। इस हिसाब से पावरकाॅम को 9 डिवीजन से सालभर में औसतन 3600 करोड़ का रेवेन्यू आता है। फिर भी खंबों का ये हाल है।
शहर में मेंटेंनेस का काम चल रहा है। साथ-साथ में बिजली पोल भी बदले जा रहे हैं। अगर कहीं पर पोल की कंडिशन ज्यादा खराब है तो उसे पहले बदला जा रहा है। खंबे बदलने संबंधी कोई नई पाॅलिसी नहीं बनी है। -संजीव प्रभाकर, डिप्टी चीफ इंजीनियर ऑपरेशन