फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए ’’मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना’’ किसानों के लिए काफी कारगर सिद्ध हो रही है और अनेक किसानों द्वारा इस योजना का लाभ उठाकर फसलों को घर व मंडियों तक पहूंचाने में कामयाबी हासिल की है जिनमें से ग्राम पंचायत राणाघाट के गांव कुम्हाली की तारा ठाकुर एक जीवन्त उदाहरण है । इनका कहना है कि बंदरों, जंगली सूअरों और पशुओं से तंग आकर उन्होने फसलों की बिजाई करना ही छोड़ दिया था जिससे उनको विशेषकर खाद्य वस्तुओं के लिए बाजार पर निर्भर होना पड़ा था ।
तारा ठाकुर ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा उनके मोबाईल पर ’’मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना’’ बारे भेजे गए संदेश से उनके मन में फिर से खेती करने की उमीद जाग्रत हुई । उन्होने कृषि विभाग कार्यालय राजगढ़ जाकर इस बारे संपर्क किया । कृषि विकास अधिकारी अंजलि कटोच ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों और बागवानों को अपने खेतों की बाड़बंदी करने के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के अन्तर्गत सौर उर्जा संचालित बाड़ लगाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर 80 प्रतिशत और सामूहिक स्तर पर 85 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। तारा देवी ने करीब 5 बीघा कृषि भूमि पर मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के अन्तर्गत सौर उर्जा संचालित करंटयुक्त बाड़ लगाने के लिए आवेदन किया। जिस पर कृषि विभाग द्वारा 2 लाख 56 हजार 825 रूपये की राशि स्वीकृत की गई जिसमें 2 दो लाख 5 हजार अनुदान और 51365 रूपये अर्थात 20 प्रतिशत शेयर लाभार्थी का शामिल था । तारा देवी ने इस राशि से अपने खेतों के चारों ओर 2295 मीटर सौर संचालित करंटयुक्त बाढ़ लगाई गई। इनका कहना है कि करंटयुक्त तारबाड़ लगाने के उपरांत उनकी फसल का जंगली जानवरों विशेषकर बंदरों से फसलों का बचाव सुनिश्चित हुआ है । उन्होने बताया कि जानवर जैसे ही खेत में प्रवेश करने के लिए बाड़तार में छूते है और उनको हल्का सा सोलर कंरट लगने से भाग जाते हैं । तारा ठाकुर ने तारबाड़ लगने के उपरांत फिर से पारंपरिक व नकदी फसलों की उगाना आरंभ कर दिया । उन्होने सभी किसानों को इस योजना का लाभ उठाने की सलाह दी
तारा ठाकुर के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना बनी वरदान

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