कोरोना महामारी का कहर न केवल हेल्थ सेक्टर पर बरपा, बल्कि इसने भारतीय अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित किया। इस वैश्विक महामारी के चलते 24 साल में पहली बार देश मंदी की गिरफ्त में आ गया। पर ताजा आंकड़े यह भी संकेत देते हैं कि उम्मीद की एक किरण अभी भी है। कोरोना संकट से पनपा संकुचन (कॉट्रैक्शन) कम हो रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) सेक्टर गति पकड़ रहा है।
दरअसल, अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में उम्मीद से बेहतर रहा है। ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में दूसरी तिमाही में केवल 7.5 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि इससे बड़े संकुचन की आशंका थी। आने वाले समय में बेहतर उपभोक्ता मांग से इसमें और सुधार की उम्मीद जतायी जा रही है।
कोरोना वायरस महामारी फैलने से रोकने के लिए लागू सख्त सार्वजनिक पाबंदियों के बीच चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई थी। कारण- कोरोना और उसके रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ था, जिससे आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप हो गयी थी। लगातार दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में संकुचन से भारत तकनीकी रूप से मंदी में आ गया है।